स्वास्थ्य एवम् चिकित्सा विज्ञान

गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर

गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर

गोल्डन मिल्क- दक्षिण एशिया की ये रेसिपी अब पश्चिम के कई देशों में खूब लोकप्रिय हो रही है.

लेकिन आप सोच रहे होंगे कि ये गोल्डन मिल्क आख़िर है क्या?

गोल्डन मिल्क दुनिया के अन्य देशों के लिए नई रेसिपी हो सकती है. लेकिन भारत के लोगों के लिए ये सदियों पुरानी चीज़ है. ये घर-घर में इस्तेमाल किया जाने वाला नुस्खा है जो नानी-दादी के वक्त से कई तरह की बीमारियों से बचने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है.

पश्चिमी देश आज जिसे 'गोल्डन मिल्क' कह रहे हैं, वो भारत के लोगों के लिए 'हल्दी वाला दूध' है. इसके ख़ास खूबियों की वजह से अब से कई देशों में लोकप्रिय हो रहा है. Read More : गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर about गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर

क्या वाक़ई चीनी आप की सेहत के लिए ख़राब है?

क्या वाक़ई चीनी आप की सेहत के लिए ख़राब है?

चीनी को आज सेहत का सब से बड़ा दुश्मन माना जाता है. डाइटिशियन से लेकर डॉक्टर तक, सभी आप को चीनी कम से कम खाने की सलाह देते हैं. सेहत के प्रति सतर्क यार-दोस्त मीठे से परहेज़ का मशविरा देने से नहीं चूकते.

क्या वाक़ई चीनी आप की सेहत के लिए ख़राब है?

चलिए पहले इतिहास के पन्ने पलटते हैं.

आज से 80 हज़ार साल पहले हमारे शिकारी पूर्वजों को चीनी या मीठा गाहे-बगाहे ही मिलता था. जब फलों का सीज़न होता था, उन दिनों में ही वो मीठा खाते थे. फलों को खाने के लिए भी उनका मुक़ाबला परिंदों और दूसरे जानवरों से होता था. Read More : क्या वाक़ई चीनी आप की सेहत के लिए ख़राब है? about क्या वाक़ई चीनी आप की सेहत के लिए ख़राब है?

बढ़े हुए पेट से निजात पाना है आसान

बढ़े हुए पेट से निजात पाना है आसान

हर कोई पतला और फिट रहना चाहता है। इसके लिए वह क्या नहीं करता हैं। जिससे कि इस समस्या से निजात मिल जाएं। लेकिन कई ऐसी समस्याएं हो जाती है। जिसके कारण हम अपना डाइटिंग में टाइम नहीं दे पाते हैं। जो कि कम समय के कारण सबसे अधिक होता हैं। ये भी पढ़े- दिन में सिर्फ 6 भुने हुए लहसुन खाने के है बेमिसाल फायदे जानिए आपके लिए पिज्जा ज्यादा फायदेमंद है या फिर पास्ता जानिए आखिर आपकी सेहत के लिए चावल सही है या फिर रोटी? Read More : बढ़े हुए पेट से निजात पाना है आसान about बढ़े हुए पेट से निजात पाना है आसान

बिना एसी के अपना घर यूं ठंडा रख सकते हैं

बिना एसी के अपना घर यूं ठंडा रख सकते हैं

जलवायु परिवर्तन सारी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है. कहीं ग्लेशियर पिघल रहे हैं तो कहीं जंगलों में आग लग रही है.

फ़िलहाल अमेज़न के जंगल आग की चपेट में हैं. जिससे एक बड़े हिस्से के तापमान में अचानक तेज़ी आ गई है. गर्मी से लोग परेशान हैं. लिहाज़ा घर और दफ़्तर ठंडा रखने के लिए बड़े पैमाने पर एयर कंडीशनर लगाए जा रहे हैं.

शायद ही कोई घर या दफ़्तर होगा जहां एयर कंडिशनर ना हो. लेकिन ये एयर कंडिशनर अंदर जितना ठंडा करते हैं, उससे कहीं ज़्यादा बाहर गर्मी बढ़ा देते हैं. Read More : बिना एसी के अपना घर यूं ठंडा रख सकते हैं about बिना एसी के अपना घर यूं ठंडा रख सकते हैं

चिप्स खाकर युवा ने गंवाई आंखों की रोशनी

चिप्स खाकर युवा ने गंवाई आंखों की रोशनी

जान पहचान के दायरे में आपने भी ऐसे बच्चों को देखा होगा जो खाना देखते ही नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं, खाना नहीं खाने के लिए बहाने बनाते हैं.

ऐसा करते हुए वे अमूमन खाना नहीं खाते और कई बार यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो जाता है. अमूमन ऐसे बच्चे जंक फूड से अपना काम चलाने लगते हैं.

अगर आपके बच्चे में ऐसी आदत पनप गई हो तो आपको सचेत होने की जरूरत है. ब्रिटेन में 17 साल के एक युवक की आंखों की रोशनी महज इसलिए चली गई क्योंकि वह युवा केवल चिप्स खा रहा था.

प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद से ही यह बच्चा केवल फास्ट फूड पर निर्भर था. Read More : चिप्स खाकर युवा ने गंवाई आंखों की रोशनी about चिप्स खाकर युवा ने गंवाई आंखों की रोशनी

कुछ लोग लेफ़्ट हैंड से क्यों लिखते हैं?

कुछ लोग लेफ़्ट हैंड से क्यों लिखते हैं?

दुनिया में कुछ लोग अपने बाएं हाथ से क्यों लिखते हैं?

दुनिया भर में लोगों के लिए अब ये एक अनसुलझी पहले बनी हुई थी.

लेकिन अब ब्रितानी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि इसके लिए इंसानी जीन ज़िम्मेदार हैं.

इंसानों के डीएनए में जीन एक तरह के सुझाव देता है जो कि किसी व्यक्ति के लेफ़्ट हैंडी होने से जुड़ा होता है.

ये सुझाव इंसानी दिमाग़ की बनावट और उसके काम करने के तरीके एवं भाषाई क्षमता पर असर डालते हैं. Read More : कुछ लोग लेफ़्ट हैंड से क्यों लिखते हैं? about कुछ लोग लेफ़्ट हैंड से क्यों लिखते हैं?

जींस पहनते समय लड़के करते हैं ये पांच गलतियां

जींस पहनते समय लड़के करते हैं ये पांच गलतियां

महिला हो या पुरुष उनकी ड्रेसिंग में जींस समान होती है, अंतर सिर्फ डिजाइन का होता है। आजकल सभी के लिए जींस पहनना काफी आसान विकल्प बन चुका है क्योंकि इसे कुर्ता, टॉप या शर्ट किसी भी चीज के साथ मैच किया जा सकता है। हालांकि, इसके भी कुछ कायदे होते हैं। खासकर पुरुष जींस पहनते समय कई गलतियां करते हैं, ऐसे में आपके लिए जानना जरुरी है कहीं आप भी तो ये गलतियां नहीं करते।  Read More : जींस पहनते समय लड़के करते हैं ये पांच गलतियां about जींस पहनते समय लड़के करते हैं ये पांच गलतियां

ऑनलाइन एडिक्शन (लत) के लक्षण क्या हैं?

ऑनलाइन एडिक्शन (लत) के लक्षण क्या हैं?

 

 

डॉक्टर मनोज कहते हैं, ''अगर कोई स्क्रीन के सामने लंबा वक़्त बिता रहा है तो ये एक बड़ा लक्षण है. हमारे यहां जो केस आए हैं, वो 6-7 घंटे स्क्रीन के सामने बैठने के हैं. लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो 14-15 घंटे ऑनलाइन वेबसाइट्स को लगातार देखते हैं.''

NIMHANS का मानना है कि एक पहलू ये भी है कि लोग ऑनलाइन स्ट्रीमिंग को सच और असल दुनिया को झूठा मानने लगते हैं. इससे एजुकेशन और शिक्षा पर भी असर होता है.

 

आंकड़े किस ओर इशारा करते हैं? Read More : ऑनलाइन एडिक्शन (लत) के लक्षण क्या हैं? about ऑनलाइन एडिक्शन (लत) के लक्षण क्या हैं?

क्या आपके नाखून कीटाणु रहित हैं ?

क्या आपके नाखून कीटाणु रहित हैं ?

बीमारियों से बचने के लिए सबसे बड़ा नुस्ख़ा जो बताया जाता है वो है हाथ साफ़ रखने का. डॉक्टर हों या घर के बड़े बुजुर्ग, सब कहते हैं कि अपने हाथ हमेशा साफ़ रखें. शौच के बाद हाथों को साबुन से धोएं. खाने से पहले हाथ ज़रूर धोएं, वग़ैरह. लोग कहते हैं कि हाथ साफ़ रखने से कीटाणु नहीं फैलते. खाने-पीने का धंधा करने वालों को ख़ास तौर से हाथ साफ़ रखने को कहा जाता है.
मगर होता यूं है कि चाहे आप जितना हाथ रगड़ लें, उनसे बैक्टीरिया कभी पूरी तरह ख़त्म नहीं होते. इसीलिए अब मरीज़ों से बात करते वक़्त या उनकी पड़ताल करते वक़्त डॉक्टर और नर्स हाथों में दस्ताने पहनते हैं.
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क्यों विकसित देशों में घट रहा है टीकाकरण पर यकीन-बीबीसी स्पेशल

आम जनता का टीकाकरण में घटता विश्वास समाज को जानलेवा बीमारियों से लड़ने के मामले में एक क़दम पीछे की ओर ढकेल रहा है.

टीकाकरण के प्रति लोगों की राय पर किए गए वैश्विक सर्वे के मुताबिक लोगों का इस प्रक्रिया में यकीन कम होता जा रहा है, दुनिया के कई इलाकों में ये बेहद कम है.

वेलकम ट्रस्ट के एक विश्लेषण में 140 देशों के 1 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा लोगों की राय ली गई.

ये सर्वे ऐसे वक़्त में आया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीकाकरण के प्रति लोगों की घटती रुचि को दुनिया भर में स्वास्थ्य के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना है. Read More : क्यों विकसित देशों में घट रहा है टीकाकरण पर यकीन-बीबीसी स्पेशल about क्यों विकसित देशों में घट रहा है टीकाकरण पर यकीन-बीबीसी स्पेशल

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